कौआ-कोयल
परीक्षा ने आकर दिया ,मुझे खरा एक तर्क
कौआ-कोयल के बीच में ,कितना बड़ा है फर्क
कुछ कौए पढ़ते समय, करते कर्कश नाद
सबसे घूम-घूम कहते हैं ,हो गया मुझे सब याद ||
पर परीक्षा की वेला ने ,खेला ऐसा खेल
बाकी पक्षी उड़ गए ,कौआ हो गया फेल
इसीलिए मेरे मित्रो पढ़ते समय हो गंभीर
तुम सुन्दर शब्दों में ,लिख सकते अपनी तकदीर||
कोयल की मीठी बोली ने ,सबका दिल बहलाया
धीर, शांत नियम संयम का ,सबको पाठ पढ़ाया
निकला परीक्षा-फल तो,कोयल हो गयी पास
'कंठ की रानी' कोयल बन गयी ,कौआ हुआ उदास ||
-ऋषि कान्त उपाध्याय