लेखन एक प्रतिभा है | कोई प्रतिभावान ही इस कला को प्राप्त कर सकता है | बड़े बड़े लेखकों के लिखे हुए लेखन को देश विदेश में मान सम्मान के साथ पढ़ा जाता है | इस कला को काल भी परास्त नहीं कर सकता | पहले ताड्पत्री, गुम्फाओ कि दीवार पर लिखाई होतीथी | फिर कागज और आजकल संगणक का माध्यम उपलब्ध है | हर प्रकार का लेखन हुआ है और हो रहा है | उसे पसंद भी किया जाता है | लेखन सिर्फ कथा ,कादंबरी ,काव्य में ही सिमित नहीं अपितु आज वह नाटक ,सिनेमा का भी महत्व पूर्ण माध्यम है |
पर आज उसमे कुछ अलग ही चित्र दिखाई दे रहा है | एक दुसरे कि कहानी को चुराकर अपनी जेबे भरी जा रही है | क्या ये सही है | फिर आरोप प्रत्यारोप कि तोंफे डागी जाती है |
लेखन एक सुंदर अविष्कार का माध्यम है | हर एक का हुनर एक दुसरे से जुदा होता है | अपनी अपनी सोच ,अपनी अपनी मेहनत | उसे छिनना गलत है |
सच्चाई से किया हुआ लेखन हर किसीको भाता है | उससे कल्पना लेकर अपने हुनर से लिखना बुरी बात नही |
इसके लिए योग्य कदम उठाये ,जागरूक रहे| अपने लेखन कि एक सूचि रखें तांकि कोई उसे दोबारा इस्तेमाल न कर सकें , और ऐसा करने पर पकड़ में आए |
आज कर संगणक पर काफी लेखन हो रहा है |
इसका भी उपयोग कर सकते है |
हमारे पास भी ऐसी लेखन प्रतिभा हो सकती है | इसके लिए अच्छी किताबे ,कहानी ,चरित्र पढ़े | सोचविचार के साथ लिखें |
तांकि हर कोई इस लेखन का आनंद ले सके और आपभी |