हम और आप कितनी कलाओंको जानते है | वैसे तो ६४ कला है | पर उनमें एक कला सबसे निराली है वो है खुशामद की कला | ये कला नगद फसल की तरह शीघ्र फल देती है | बिना इस कला को जाने अच्छे अच्छे कलाकार भी भूखों मरते है और जो इस कला में कुशल है वह कलाकार नहोते हुए भी ताज धारी बन जाते है |
इस खुशामद की कला का अपना एक विज्ञानं है , इसके अपने सिद्धांत है | किसकी खुशामद करना ,कब करना ,कैसे करना ये ज्ञान तो सबसे जरुरी है | खुशामद लाभोंका खजाना है | जीवन के हर क्षेत्र में वह सफलता की कुंजिंकी तरह काम करती है | व्यापारी यदि इस नुस्खे को जनता है तो उसका व्यापार दिन पर दिन फूलता फलता रहेगा | नेता अभिनेता इस कला का उपयोग करके सफलता के शिखर पर पहुँच जाते है | नोकर मालिक को खुश रख सकता है | पुराने ज़माने में दरबारी कवि राजायोंको खुशामदी की कविताएँ सुनाकर उनका दिल जीत लेते थे और मुहँमाँगा इनाम पाते थे |
ये बात जरुर है की खुशामद की कला का आधार झूठ है | इसलिए सच्चे और इमानदार लोगोंपर इस कला का असर नही होता | उनके सामने ये कला हार जाती है | वे ना तो खुशामद करते है ना किसीकी खुशामद का स्वीकार करते l है |
पर फिर भी इस कला का बोलबाला तो हर जगह दिखाई देता है | आजकल तो सभी जगह खुशामद का महत्व देखने और सुनने को मिलता है | जिसे खुशामद की कला अच्छी तरहसे आती है वही वर्त्तमान जीवन का सबसे बड़ा कलाकार है | खुशामद का रामबाण हर देश और काल में अचूक काम करता है |