प्रसिद्द चम्पेश्वर महादेव मंदिर उड़ीसा के कटक जिले में स्थित है जहाँ के प्राचीन जल कुंड में २०० से अधिक कछुओं का निवास है I चम्पेश्वर ग्राम उडीसा की राजदानी भुबनेश्वर से लग-भाग ११२ किलोमीटर दूर है I ग्राम वासी मंदिर के जल कुंड में निवास कर रहे कछुओं को भगवान विष्णु के प्रथम अवतार 'कुर्म' के रूप मानते हैं जबकि चंपेश्वर के इस मंदिर में शिव पूजा होती है I ग्राम वासिओं ने बड़ी ही सफलता पूर्वक इन विरल कछुओं का संरक्षण किया है जो की सराहना योग्य हैI आज यह मंदिर राज्य सरकार तथा वनविभाग दोनों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है I
इतिहासकारों के अनुसार चम्पेश्वर का यह मंदिर तथा उसका जलकुंड १००० वर्षों से भी अधिक प्राचीन है I स्थानीय लोग जलकुंड के इन कछुओं को भगवान् विष्णु का अवतार मानते हैं I दो विशालकाय कछुए सहज ही पानी से बहार निकल आते हैं जब उन्हें 'कालिया' एवं 'बलिया' के नाम से बुलाया जाता है I ये 'कालिया' एवं 'बलिया' कोई और नहीं बल्कि भगवान् जगन्नाथ तथा उनके बड़े भाई बलभद्र हैं I
जल कुंड में निवास कर रहे ये कछुए आज दूर-दूर से आने वाले लोगों के आकर्षण का मुख्य केंद्र बने हुए हैं I लोग मंदिर में शिव लिंग की पूजा तो करते ही हैं, साथ ही साथ जलकुंड के इन कछुओं की भी पूजा होती है I आस्था से भरे भक्त, मंदिर में शिवजी को चढाया हुआ भोग जल कुंड के कछुओं को खिलते हैं, और मानते हैं की इससे अलौकिक पुण्य की प्राप्ति हिती है I मंदिर प्रशाशन इस बात का सम्पूर्ण ध्यान रखता है की जलकुंड का जल स्वच्छ तथा निर्मल रहे I
इस प्रश्न का उत्तर किसी के पास नहीं है की इन कछुओं की आयु कितनी है और वे मंदिर के इस जलकुंड में कैसे आए I मंदिर के पुजारी लोकनाथ पंडा के अनुसार ग्राम वासिओं में ऐसा विश्वास है कि यदि कोई जलकुंड के इन निरीह कछुओं को हानि पहुँचाता है, तो स्वयं उसके परिवार को जान-माल की हानि पहुँचती है I भक्तों की इश्वर में ऐसी आस्था निःसंदेह ही सराहना के योग्य है I