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मौसम बहार का आया है दोस्तो
साथ अपने रौनकें लाया है दोस्तो।
दुनिया के झमेलों में तुमने अब तक
किसे याद रखा किसे भुलाया है दोस्तो।
वो शख्स जो हाकिम से खौफज़दा है
किसलिए ज़माने में आया है दोस्तो।
बिकता है सरेआम माँस का दरिया
दौलत ने सबको नँगा नचाया है दोस्तो।
खुशियाँ ज़िंदगी में मिलती हैं चार दिन
ग़म तो ज़िंदगी का हमसाया है दोस्तो।
सुरेन्द्र पॉल