Open Means Open Means

यात्राएँ ग्यानावार्दक होती है.  यात्रओं के द्वारा जो अर्जित ज्ञान होता है वह सदा-सदा के लिए हमारे मस्तिष्क के ज्ञान कोषों में संचित ह जाता है.  अतः मनुष्य यात्राओं के द्वारा ज्ञान प्राप्ति के साथ-साथ मनोरंजन भी पता है.

गर्मी के दिन थे.  कालेज बंद हो गये है.  हैदराबाद की भीषण गर्मी से विवश होकर हमने ऊटी जाने का निश्चय किया.  यह एक रमणीय पर्वतीय स्थल है. हमने दस दिन का कार्यक्रम बनाया.  हम सभी विद्यार्थी प्रसन्नता के मारे उछल पड़े.   पहली बार हम ऐसी यात्रा पर जा रहे थे.  ऊटी की कल्पना करके हम फूले नही समां रहे थे.  सब में एक प्रकार का उत्साह और जोश था.

हम कुल पच्चीस विद्यार्थी थे.  हमने एक बस किराये पर लेली.  वहाँ ठंड अधिक पडती है.  इसलिए हमने आवश्यक गरम कपडों का प्रबंध भी किया.  ऊटी के बारे में, आसपास के दर्शनीय स्थानों के बारे में हमने अच्छी तरह जानकारी हासिल की.  हमने ऊटी गेस्ट हाउस को एक पत्र भी लिखा.  इससे ठहरने की व्यवस्था की चिंता भी समाप्त हो गया.

आखिर वह दिन भी आया जिसकी हमे प्रतीक्षा थी. हम सब अत्यंत उत्साह से बस पर बैठ गये. वह एक वीडियो कोच था.  हमारी खुशी का क्या कहना.  सब पर नशा-सा छा गया था.  ऊंचे-ऊंचे टीले, लवंग के पेड़ आदि को देखते हुए, रास्ते के झरनों का आनंद लेते हुए हम दो दिन बाद ऊटी पहुंचे. वहाँ की सुन्दरता और सुरम्य प्रकृति ने हमारा मन मोह लिया.

जहाँ हम ठहरे थे, वह खूब सूरत काटेज थी.  सभी खिड़कियोंऔर दरवाजो पर कांच लगा था.  हम भीतर बैठ कर बाहर का आनंद ले रहे थे.  हमने कुछ घंटे आराम करने का निश्चय किया.  यह समय ऊटी का यौवनकाल था.  देश-विदेश के यात्री ऊटी के रास्तों की शोभा बढा रहे थे.  शाम के समय की छटा निराली पडे जहाँ अधिक कोलाहल था.  ठंडी हवाये मन को भावुकता से भर देती थी.  वही हमने नाव पर बैठकर बहुत आनंद उठाया.  हमे पता तक नही चला की दिन कैसे बीत गया.  हर चीज में एक प्रकर का आकर्षण था.  हमने ऊंटों का चप्पा-चप्पा छान मारा.  बड़े-बड़े होटलों में खाना खाया.  ऊंटी की सैर का आनंद हमे सदा यदा रहेगा.  यह अधिक मनोरंजक यात्रा थी.  हम सभी ऊटी को प्रणाम कर ख़ुशी-ख़ुशी वापस लौट आये.

No comments

Login to post a comment

Show
  • Create an account
  • Forgot your username?
  • Forgot your password?
  • About Us
  • Faqs
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions