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गाय एक पालतू जानवर है.  समस्त विश्व में यह पायी जाती है.  जब से मनुष्य ने खेती करना प्रारंभ किया तब से वह जानवरों को अपने लिए साधन के रूप में इस्तेमाल करने लगा.  तभी से गाय का मनुष्य के साथ घनिष्ट सम्बन्ध जुड़ा.  गाय मनुष्य के लिए एक उपयोगी जानवर है.  वे इसको गोमाता कहते हेई.  हजारो वर्षो से वह मनुष्य का पालन-पोषण करती आई है.  इसलिए इसके प्रति लोगो के मन में श्रद्धा-भाव है.  इस प्रकार की भावना का रहना सहज बात है.

गाय का आकार-प्रकार सामान्य जानवरों-सा होता है.  चार पैर, सिर पर दो सींग, दो लम्बे कान और एक लम्बी पूँछ, किन्तु जलवायु के प्रभाव से यह किसी देश में छोटी होती है तो कही सूखी.  यह एक सत्य है कि वह पालतू होती है और आदमियों के बीच रहने की अभ्यंत होती है.  यह शाकाहारी होती है.  इसके खाने के पदार्थो में घास, पत्तिया, भूसा, खाल्ली आदी के साथ-साथ अनाज भी होता है.

हजारो वर्षो से पालतू रहने के कारण इसका स्वभाव बहुत सीधा हो गया है.  अपने पालतू बने के कारण वह मनुष्य से हिलमिल कर रहना अधिक पसंद करती है.  मनुष्य के आश्रय को ही वह सब मानती है.  मालिक को, उसके घर को और बांधे जानेवाले स्थान को वह अच्छी तरह पहचानती है.  उसे यदि बिना किसी देखभाल के भी छोड़ दिया जाय तो वह शाम स्वयं ही अपने स्थान पर आ जाती है.

गाय से मनुष्य को लाभ ही लाभ है.  इसका दूध बहुत पुष्टिकारक होता है.  इसकी तुलना माँ के दूध से की जाती है.  दूध से दही, मक्खन, छांछ, मिठाईयाँ आदि बनाई जाती है. दूध से दही, मक्खन, छांछ, मिठाईयाँ आदि बनाई जाती है. इसके गोबर से फर्श लीपा जाता है और गोबर को सुखाकर उपले बनाये जाते है.  उपलों का उपयोग ईधन के रूप में किया जाता है.  गाय का गोबर अच्छी खाद भी होता है.  इसके मरने के बाद भी इससे कई लाभ है.  इसकी खाल से जूते, थैले आदि बहुत-सी वस्तुयें बनती है.

हिन्दू गाय को माता समान मानते है.  उसके पूजा करते है.  घर में गाय का रहना शुभ माना जाता है.  भारत जैसी कृषी प्रधान देश में गाय का बहुत महत्त्व है.

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