|| श्री गणेशदत्त गुरुभ्योनमः ||
श्री गणेश भगवान जी की स्तुती हमे कई किताब, स्तोत्र , मंत्र इत्यादी में मिलाती है | मुझे ' श्री गणपति अथर्वशीर्ष ' मे श्री गणेश जी का महात्म्य वर्णन ख़ासकर पसंद है | श्री नारद जी ने ' श्री गणपति स्तोत्र ' मे वक्रतुंड , एकदंत , कृष्णपिंगाक्ष , गजवक्त्र , लंबोदर , विकटमेव , विघ्नराजेन्द्र , धूम्रवर्ण , भालचंद्र , विनायक , गणपति , गजानन आदि श्री गणेश जी के बारा नामोंका उल्लेख किया है | इन बारा नामों के उच्चारण से विद्या , धन , पुत्र तथा अन्य फलश्रुति का वर्णन भी हमे मिलता है | श्री गणेश जी , गौरीपुत्र , शिवपुत्र , महाकाय , प्रथमेश , गणाधीश इत्यादी अन्य नामोंसे भी जाने जाते है | विशेषकर उन्हे ' आदिदेव ' कहते है क्यों की किसीभी पूजा , मंगल कार्य का प्रारंभ श्री गणेश पूजा , वन्दना से ही शरू होती है अन्यथा वह पूजा , कार्य पूर्ण और फलश्रुत नही होता | पूजा , मंगल कार्य निर्विघ्न पूर्ण हो जाए इसलिए श्री गणेश वन्दना प्रथम करतें है क्यों की वह विघ्नहर्ता भी है | महाराष्ट्र राज्य मे श्री गणेश उत्सव भाद्रपद मास मे हरसाल धूमधाम से मनाया जाता है | इसकी लोकप्रियता और शक्ती देख लोकमान्य श्री. बाल गंगाधर तिलक जी ने इसे सार्वजनिक उत्सव का स्वरुप दिया | ब्रिटिश सत्ता विरोध और भारत माँ की स्वतंत्रता इस महान कार्य मे जन-जागरण एवं लोक-संग्रहण के लिएँ श्री. तिलक जी ने इस सार्वजनिक श्री गणेश उत्सव का प्रभावी रूप से इस्तमाल किया |
विशेष रूपसे श्री गणेश जी के साकार रूप का निराकार स्वरुप वर्णन मुझे भाता है | इस वर्णन मे श्री गणेश जी के व्याप्ति और शक्ती की पहचान होने मे मदद होती है | उन्हे अक्षर-ब्रह्म भी कहते है , इसका अर्थ यह हुआ की इस दुनिया मे जो भी ज्ञान और विज्ञानं है , वह उन्ही का रूप है | शायद इसीलिए उन्हे बुद्धि-दाता कहते है | श्री गणेश जी को मूलाधार (मूल-आधार ) विशेषण दिया गया है , इस ब्रह्मांड, सृष्टि की निर्मिती के वह मूल-कारण है | ' श्री गणपति अथर्वशीर्ष ' मे मैंने यह भी पढ़ा है की , श्री गणेश जी ही ' ब्रह्म , विष्णु , महेश , इंद्र , अग्नि, वायु , सूर्य , चन्द्र , ब्रह्म भूः भुवः स्वर ॐ है | इसका अर्थ यही हुआ की हर भगवान एकही निराकार शक्ती के अलग-अलग रूप होते हुए भी सब एक है और हम सभी शिव-भक्त और विष्णु-भक्त तथा अन्य धर्म वासियोंके साथ व्यर्थ ही लड़ते रहते हैं | पूरा ब्रह्मांड ही अगर श्री गणेश जी के (हर कोई अपने इष्ट देवता का नाम यहाँ कल्पित कर सकता है, नाम बदल जाने से सत्य नही बदलेगा ) साकार रूप का निराकार स्वरुप है तो इस सृष्टि का हर जीव-जन्तु समान ही है |
इतने विशाल दृष्टिकोण से देखे तो भी लगता है की इश्वर नाम के महासागर मे से अभी तक मैंने एक बूंद भी नही जाना है | यह शोध यूँही जारी रहें ऐसी आशा श्री गणेश जी से रखता हूँ | श्री गणेश जी, जो सुख-कर्ता , दुःख-हर्ता , बुद्धि-दाता , विघ्न-हर्ता है आप सब सज्जन गणोकी सारी परेशानियाँ दूर करें और आप सब को सुख , शांति , समाधान दे यही प्रार्थना करता हूँ |
|| श्री गणेशदत्त गुरू-शक्ती चरणार्पणमस्तू ||