"किसी काम को करने की कोशिश मत करो बस उसे कर दो |" यह सफलता का मंत्र है | हमने लोगों को अक्सर यह कहते हुए सुना है कि मैं इस काम को करने की पूरी कोशिश करूँगा | जब हम 'कोशिश' शब्द का प्रयोग करते हैं तो हम अपना १००% नहीं दे पाते और बिना १००% दिए हम सफल नहीं हो सकते |'कोशिश' शब्द से शंका और असफलता की बू आती है | जहाँ शंका होती है सफलता उस जगह को अपना आशियाना नहीं बनाती | शंका आपके आत्मविश्वाश में बड़े- बड़े छेद कर देती है | जब आत्मविश्वाश ही डगमगा जाये तो फिर सफलता की क्या आशा | सफलता कोशिश से नहीं मिलती, इसके लिए लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण जरूरी है |
यदि आप सफलता को अपनी दुल्हन बनाना चाहते है तो साहस, आत्मविश्वाश, समर्पण और कठोर परिश्रम जैसे बाराती आपके साथ होने चाहिए | सफलता उस महिला की तरह है जो केवल उसी व्यक्ति से शादी करना चाहती है जो उसके प्रति वफादार रहे | इसलिए वह व्यक्ति की खूब परीक्षा लेती है और अंततः उस व्यक्ति के गले में वरमाला डालती है जो परीक्षा में खरा उतरता है | सफल और असफल आदमी के बीच सबसे बड़ा अंतर यह होता है कि सफल आदमी तुरंत काम में जुटने क़ी आदत डाल लेता है जबकि असफल आदमी काम को टालता रहता है | सफल आदमी योजना बनाता है और तुरंत काम में जुटकर उसे पूरा करके ही दम लेता है जबकि अकर्मण्य व्यक्ति योजनाये बनाता रहता है और उचित अवसर का इंतजार करता रहता है | परन्तु ऐसा अवसर कभी आता ही नहीं |
बहुत से लोगों के लिए सुबह जल्दी बिस्तर छोड़ना भी एक समस्या है | वे खुद से जल्दी उठने वादा करके सालों गुजार देते हैं लेकिन कभी जल्दी नहीं उठ पाते | वे केवल जल्दी उठने क़ी कोशिश करते है इसलिए उठ नहीं पाते | उठने के लिए बस अपने ऊपर से चादर उतारने और झट से उठ बैठने क़ी जरुरत होती है | यही बात हर काम पर लागू होती है | तुरंत काम में जुटना सफलता क़ी गारंटी होती है | कोशिश छोडिये, काम में जुट जाइये |