भूमिका
डेंगू दुनिया में सबसे ज्यादा फैलने वाला रोग है . हर वर्ष बहुत से लोग इसके संक्रमण का शिकार होते हैं . आज भी डेंगू से मरने वालों की संख्या में बड़ी तेज़ी से बढोतरी हो रही है . डेंगू और भारत का रिश्ता बहुत पुराना है, जिसमें अक्टूबर 1996 में वो सबसे खतरनाक रूप में सामने आया था .
कैसे फैलता है डेंगू?
डेंगू वायरस एक व्यक्ति से दूसरे को नहीं फैलता . यह एक किस्म के मादा मच्छर से फैलता है . अगर यह मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो डेंगू का वायरस उसकी लार ग्रंथि में प्रवेश कर जाता है . वहां यह वायरस 8-10 दिनों तक रहता है . उसके बाद मादा मच्छर जिस व्यक्ति को काटती है, वह इस वायरस में संक्रमित हो सकता है . अपने 65 दिनों के जीवनकाल में संक्रमित मच्छर जिस भी व्यक्ति को काटे, उसे संक्रमण हो सकता है . एक बार वह वायरस मनुष्य शरीर में प्रवेश पा ले तो यह धीरे धीरे रक्त -कोशिकाओं में पनपने लगता है .
लक्षण
डेंगू के लक्षण तुरंत नज़र नहीं आते . उन्हें उभरने में 2 से 7 दिन लग जाते है . लक्षण उम्र और व्यक्ति के स्वास्थ्य पर भी निर्भर करते है . इस बीमारी की शुरुआत तेज़ बुखार, सिरदर्द, पीठदर्द, मांसपेशियों,और जोड़ों में दर्द के साथ होती है। इसके अलावा जी मिचलाना,उल्टी और भूख न लगना भी इसके आम लक्षण हैं . रैशेज़ अक्सर बुखार शुरू होने के 3-4 दिन बाद ही उभरता है . इसके गंभीर लक्षण 10 दिनों तक रह सकते है . डीएचएफ, जो डेंगू का ही एक प्रकार है, उसमें कोशिकाएं कुछ रसायन का रिसाव करती हैं जो रक्त शिराओं से प्लाज़्मा को रिसने में मदद देता है . मस्तिष्क और आंतों से बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव के होने से लो ब्लडप्रेशर होने की संभावना हो सकती है . इसके साथ ही बॉडी कैविटीज़ में फ्लूइड के जमने के कारण मरीज़ शॉक में भी जा सकता है . और एक बार मरीज़ शॉक में चला जाए तो मल्टी ऑर्गन फेल्योर यानि सभी अंगों का काम करना बंद हो जाने से मरीज़ मर भी सकता है . सबसे खतरनाक स्थिति तब होती है जब लगातार तेज़ बुखार लगभग 7 दिनों तक बना रहता है . इसके साथ ही भूख न लगना,जी मिचलाना,उल्टी, त्वचा नाक या मसूड़ों से खून का बहना जैसे लक्षण भी उभरते हैं . गंभीर हालत में बुखार के कुछ दिनों बाद ही मरीज़ की हालत बिगड़ सकती है और 24 घंटे के अन्दर वो मर भी सकता है.
बहुत लोग यहां तक की डॉक्टर्स भी कभी कभी डीएचएफ (डेंगू का ही एक प्रकार ) को इंफ्लूएंजा या कोई फ्लू जैसा रोग ही समझने की गलती कर देते है . इसी वजह से इलाज़ में देरी हो जाती है और मरीज़ की हालत गंभीर हो जाती है . डेंगू में हमेशा रैशेज़ होता है, जबकि फ्लू या मलेरिया में ऐसा नहीं होता . इसके अलावा मलेरिया या फ्लू का बुखार पांच दिनों के अन्दर ठीक हो जाता है, जबकि डेंगू का बुखार सात दिनों तक चलता रहता है . मलेरिया में सर्दी लगकर बुखार आता है और डेंगू की तरह उसमें तेज़ सिरदर्द व बदन दर्द नहीं रहता .
डेंगू से बचाव के तीन प्रमुख कदम
1) मच्छरों के पैदा होने की संभावनाओं को दूर करें
- घर से बाहर रखे बर्तनों को सूखा रखें . जो बर्तन प्रयोग में न लाए उन्हें उलटकर रख दें . जिन बर्तनों या जगहों पर बारिश का पानी जमा हो या किसी भी तरह के पानी के जमा होने की संभावना हो उसे साफ़ व सूखा रखें,
- बाहर पालतू जानवरों के लिए जो पानी रखा हो, उसे नियमित रूप से बदलते रहें व साफ़ रखें .
- दीवार के कोनों में गीले कपडे नहीं सुखाएं, क्योंकि ऐसी जगहों पर मच्छर के छिपने व पनपने की संभावना ज्यादा होती है .
- गोल्ड फिश जैसी मछलियां पालें जो मच्छरों के अंडों को खाती है .
- अपने इलाके को साफ़-सुथरा रखने और वहां पानी के जमाव को साफ़ करने के लिए संबंधित अधिकारियों दबाव बनाएं .
2) खुद को मच्छरों के काटने से बचाएं
- बाहर जाते वक्त लम्बी बांह की शर्ट,पेंट और जूते से खुद को ढककर रखें.
- घर में साफ़ सफाई रखें और खिड़की दरवाजों पर नेट लगवा लें, ताकि मच्छरों के आने की संभावना कम रहे .
- बच्चों को समझा दें की ठहरे हुए पानी के आसपास न खेलें .
- दिन के समय भी मच्छरों से बचाव की क्रीम, कॉइल का प्रयोग करें .
3) उचित चिकित्सा लें
- अगर फ्लू जैसे कुछ लक्षणों के साथ बुखार और रैशज़ भी हों तो जल्दी ही डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए .
- यदि आपके आसपास कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसमें डेंगू के लक्षण नज़र आ रहे हों तो तुरंत उसे डॉक्टर के पास जाने की सलाह दें .