मानव जीवन संघर्ष का दूसरा नाम है। मानव जनम से लेकर मृत्यु पर्यंत तक प्रकृति की शक्तियों से संघर्ष करता है ताकि वह जीवित रह सके। जब वह प्रकृति की सम्मुख हार जाता है तो वह उसके जीवन में एक बड़ा विराम होता है। यह अवस्था तभी आती है जब वह संघर्ष करता है इस संघर्ष के कारण वह अनेक गुणों का सृजन कर पाता है। उक्त पंक्ति में भी कहा गया है कि 'संघर्ष करने, कठिनाइयों का सामना करने पर ही गुण प्रकट होते है किसी लालच में आकर काम करने पर नहीं। यदि किसी व्यक्ति को पैसे देकर जंगली शेर का मुकाबला करने को कहा जाये तो वह शायद न माने पर जो लोग निर्भीक होकर जंगलो, बीहड़ों में रहते है वे निश्चय ही शेर कि गरज सुनकर उससे मुकाबला करने का उपाय सोचेंगे। सहनशीलता, साहस, निर्भीकता, दया, त्याग व सूझ-बूझ के गुण उन्ही लोगो में मिलेंगे जिन्होंने जीवन में कठिन परिस्थितियों से संघर्ष किया हो, जो हर परिस्थिति का सामना करने के लिए कटिबद्ध है। किसी उर्दू शायर का कथन है-
रंग लती है हीना पत्थर पे पिस जाने के बाद, सुर्खरू होता है इंसा ठोकरे खाने के बाद।
कठिनाइयों को मात देने वाले लोगो का ही संसार में यशोगान होता है। आज महाराणा प्रताप को सभी याद करते है जिन्होंने अकबर का डट कर मुकाबला किया। मान सिंह को कोई भी पसंद नहीं करता। गुरु गोविन्द सिंह ने भी अत्याचारी शासको का डटकर मुकाबला किया चाहे इसके लिए उन्हें अपना परिवार कुर्बान करना पड़ा पर फिर भी वह डेट रहे इसी कारण वे इतिहास में अमर हो गए। आज़ादी के अनेक वीरो ने भी अत्याचारों, बेइंसाफी वह गुलामी का मुकाबला किया चाहे इसके लिए उनकी जाने चली गयी पर इतिहास में अमर हो गए। उनके बलिदान के कारण हम आजाद देश में साँस ले रहे है।
संघर्षशील होना जीवन का लक्षण है। जिस क्षण मानव परिस्थितियों से संघर्ष बंद कर देता है, उसी क्षण वह अवनति, उपहास, व मृत्यु कि और बढ़ने लगता है। संघर्ष केवल अपने लिए ही नहीं दूसरो के हित के लिए भी करना चाहिये। संघर्ष के लिए निष्काम व निस्वार्थ कि भावना भी होनी चाहिए अन्यथा संघर्ष मात्र दिखावा रह जाता है और कुछ समय बाद संघर्ष भावना समाप्त हो जाती है। संघर्षशील व्यक्ति लोगो में लोकप्रिय होता है और समाज का हित उससे स्वाभाविक रूप में अनायास हो जाता है। अनवरत संघर्षशील व्यक्ति को संसार सदा याद करता है क्योकि वह अन्य लोगो की प्रेरणा का स्त्रोत बन जाता है। महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरु, सुभाष चन्द्र बोस व भगत सिंह को लोग उनकी संघर्शीलता के लिए याद करते है। संघर्ष की प्रचंड ज्वाला ही अन्याय व अज्ञान का नाश करती है। संघर्ष करने वाला व्यक्ति त्याग, दया, सहनशीलता, धर्म, न्याय आदि सद् गुणों से स्वतः परिपूरित हो जाता है।