Open Means Open Means

भूमिका

भारत में फैशन का इतिहास कोई ज्यादा पुराना नहीं है। मगर आज देखो तो हर तरफ इसी की धूम  है। वो ज़माने गए, जब फैशन के लिए हमारे फिल्म स्टार तक पश्चिम की तरफ रुख करते थे। आज अपनी पोशाक को लेकर सजग और सतर्क हर इंसान के लिए अपने देश में ही नित नए बदलते फैशन की बहुरंगी दुनिया मौजूद है। यही वजह है की खुले बाज़ार और बढते उपभोक्तावाद के चलते तेज़ी से बढता फैशन का कारोबार आज कई सौ करोड़ तक जा पहुंचा है। जैसा धन वैसा श्रम , फैशन व्यवसाय के लिए यह बिलकुल सही बैठती  है। इस कारोबार की मांग है -प्रतिभा ,कौशल और योग्यता। यहाँ व्यक्ति का समय के अनुरूप बदलना और नए की खोज में लगे रहना बेहद ज़रूरी है। फैशन डिजाइनिंग में केवल डिज़ाइनर ही इस फील्ड में काम करते है ऐसा नहीं है। डिजाइनिंग,प्रोडक्शन और मार्केटिंग का संयुक्त उधम ही फैशन कारोबार में आता है। इसमें बड़ा हिस्सा तो आम उपभोक्ता की पसंद और हैसियत के अनुरूप कपडे बनाने वालो का है। जहाँ तक उच्चवर्ग के फैशन और फैशन शो का सवाल है ,  आए  दिन पांच सितारा होटल में होने वाले फैशन शो इस बात का प्रमाण  है की बड़े पैमाने पर पूंजी का निवेश भी बड़े मुनाफे के लिए ही किया जाता है। और अगर आप प्रतिभाशाली है, तो आप दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बना सकते है। फैशन की दुनिया में स्त्री पुरुष समान  रूप से ही काम करते है। कामयाबी के लिए इस फील्ड में उम्र की भी कोई बंदिश नहीं है। असल सवाल प्रतिभा का है।

कार्य की प्रकृति

फैशन डिजाइनिंग  के काम में चार या पांच लोगो की जरुरत होती है। फैशन डिज़ाइनर का काम नए तरह के कपडे और प्रसाधन सोचना है।  यहाँ उसका काम केवल सोचने का है।  उसके विचारों को सही जिंदा रूप या मूर्त रूप देने का काम असिस्टेंट डिज़ाइनर करता है। कटिंग असिस्टेंट नमूना तैयार करता है। यह देखना उसका काम है कि पैटर्न को कपडे में ढाला जा सके। अगर नमूना कपडे के लिए ठीक है, तो स्केचिंग असिस्टेंट डिज़ाइन का आखिरी स्केच बनता है। इसके बाद स्टाइलिस्ट की बारी आती है , जो कपडे के चयन और डिज़ाइन के मुताबिक काम करता है। इनके अलावा इस काम में कही कही जूनियर डिज़ाइनर भी रखे जाते है, ये मार्केट रिसर्च और फैशन में  आई  नए चीजों की खबर भी रखता है। हर काम के लिए अलग व्यक्ति रखा जाता है। जहाँ तक डिजाइनिंग की बात है, तो इस फील्ड में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी अच्छा है। यहाँ फैशन डिज़ाइन में डिप्लोमा के लिए स्टूडेंट का 50% अंक के साथ 12 पास होना जरुरी है। आमतौर पर यहाँ एंट्री के लिए आवेदन करने वालो की संख्या 25 हजार तक होती है। इसलिए यहाँ बहुत कड़ा मुकाबला होता है। फैशन डिज़ाइन फील्ड  कल्पना या प्रेरणा को तैयार वस्तु का रूप देना  सिखाता है। इसमें फैशन कला , पैटर्न बनाने, कपडे तैयार करने और इनकी सजावट जैसे तकनीकी काम सिखाये जाते है। कल्पना से डिज़ाइन  बनाकर पेश किया जाता है, और यही डिज़ाइनर का पेशा है।

सम्भावना क्या है

कुछ फैशन डिज़ाइनर घरेलू बाज़ार को माल देने वाली किसी टेक्सटाइल कंपनी में काम पा सकते है। वे फिल्मों  या थियेटर के लिए कॉस्टयूम डिज़ाइन  कर सकते है। फैशन शो या उच्चवर्ग के फैशन में किस्मत आजमा सकते है या  फिर अपना बुटीक खोलकर भी पैसा कमा सकते है।

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