प्रतियोगिता
प्रतियोगिता है जीवन की सीढ़ी
हम सबको उस पर चढ़ना है |
ज्ञान-ध्यान विश्वास धैर्य संग
कदम मिलाकर बढ़ना है ||
सफल वहीँ होता है जिसकी
होती है पहचान अलग |
अपनी प्रतिभा के प्रकाश से
जग-मग कर देता है जग ||
यह एक दिन का काम नहीं
वर्षो की कड़ी मेहनत है |
जो विषम क्षणों में अडिग रहा
समभाव बना अध्ययनरत है ||
प्रतियोगिता एक तपस्या है
महाभारत के गांडीवधारी का
जिसने कर्म-विश्वाश सहित
लक्ष्यभेद किया मछली प्यारी का ||
प्रतियोगिता सागर-सा अथाह
जिसमें बिखरे मूंगा-मोती |
जो योगी-सा है समाधिस्थ
उसकी ही मात्र विजय होती ||
ऋषि कान्त उपाध्याय