सामान्य तोर पर जब भी लोग जब भी बाजारों का आकलन मोहित होकर वाह कितना अच्छा बाज़र हे फायदा कमाया जा सकता हे करते हे वे तभी धोखा खा जाते हे।इसका मुख्य कारण हे जब आदमी देखता हे की बाज़ार तेज़ी से बढ़ते हुए आगे की और नए उचाईयो पर चढ़ रहा हे तो सोचता हे ओह पैसे की बारिश सी हो रही हे फायदा कमाया जाये पर होता ये हे की जब तक ये विचार उसके दिमाग में आता हे,वह देर कर चुका होता हे अब होता ये हे की बाज़ार ऊपर खड़े होते हे और खिसक के नीचे आ जाते हे। और हाथ लगता हे तो नुकसान पर होता ये हे की बड़े निवेशक कमा लेते हे।
मनोविज्ञानियो के अनुसार जब आदमी किसी प्रवृत्ति को देखता हे तो वो तुरंत यह सोचता हे की इसका विपरीत होगा वो देखता रहता हे जब तक की कोई अहम् स्तर टूटने के करीब वो स्थिति में न पहुच जाये , किसी भी बाज़ार या शेयर या निवेश के लिए उचाई या निम्नतम स्तर का टूटने के पास पहुचने की स्थिति ही वह अहम् स्तर होती हे जब आदमी या तो उम्मीद मजबूत कर लेता हे की "यह अब न टूटेगा" या उम्मीद पूरी तरह खत्म कर देता हे की "अब ये तो गया बस"।ये ही वह समय होता हे जब उसका दिमाग उसको निवेश से रोक देता हे या नुकसान उठा लेने को कहता हे, पर एक सच्चा और पेशेवर निवेशक इस तरह की स्थितियो में निवेश करने या फायदा कमाने के तरीके तलाशता हे।जब आप देखते हे की कोई शेयर या बाज़ार सूचकांक लगातार ऊपर की और जा रहा हे पर आप उस पर दाव लगते हे की ये अब और ऊपर जायेगा और वो आपको सामान्य फायेदा भी दे जाता हे तो आप अपनी सोच के आदी हो जाते हे और बार बार उस पर दाव लगाना चाहते हे तो अपने दिमाग को ऐसी स्थिति का आदि न होने देकर जल्दबाजी में फैसला न लेकर उस समय जो स्थितिया बन रही हो उसके साथ,कारण,समाचार,उससे जुडी कोई खास वजह या घोषणा इन सबको को देख-परखकर क्या हालत बन रहे हे फिर विचार करना चाहिए की खरीदू या नहीं। कहा जाता हे की समान आर्थिक नुकसान, समान फायदे की तुलना में आधिक दुखदायी नहीं होता हे,और आदमी नुकसान पैर नुकसान उठता जाता हे। फायदा कमाना होतो तो भावनाग्रसित होना छोड़ दे।